जिस कॉलेज में कभी की थी पढ़ाई, आज उसी के बने प्रधानाचार्य, खेती-किसानी में भी मास्टर हैं प्रिंसिपल साहब
शशि कुमार सिंह 'प्रेमदेव' बलिया के कुंवर सिंह इंटरमीडिएट कॉलेज में प्रधानाचार्य हैं. मध्यमवर्गीय परिवार से आने वाले शशि ...अधिक पढ़ें
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सनन्दन उपाध्याय/बलिया. सफलता किसी परिस्थिति की दास नहीं होती है. कोशिश, लगन और कुछ कर जाने का जज्बा हो, तो इंसान सफलता पा ही लेता है. आज हम जिस व्यक्ति के बारे में आपको बता रहे हैं, उनके जीवन की कहानी भी कुछ ऐसी ही है. गृह जनपद में पढ़ाई-लिखाई, घर जाकर खेती-किसानी का काम, पशुओं की सेवा, घर-परिवार का कामकाज करते हुए इस शख्स ने पढ़ाई जारी रखी. उनकी कड़ी मेहनत और लगन का ही नतीजा है कि जिस कॉलेज में कभी वे छात्र बनकर आए थे, शिक्षा ग्रहण की, आज उसी कॉलेज में वे प्रिंसिपल हैं. हम बात कर रहे हैं बलिया के कुंवर सिंह इंटरमीडिएट कॉलेज के प्रधानाचार्य शशि कुमार सिंह ‘प्रेमदेव’ की. शशि कुमार सिंह जनपद के नगरा ब्लॉक के सोनापाली गांव के रहने वाले हैं.
लोकल18 से बातचीत के दौरान शशि कुमार सिंह ने अपने जीवन संघर्ष की कहानी साझा की. उन्होंने बताया कि गांव के ही प्राथमिक विद्यालय से पढ़ाई हुई. पहली से पांचवीं तक करने के बाद परिवार जिला मुख्यालय आ गया. यहां नियमित पढ़ाई हुई, लेकिन छुट्टियों में बुवाई, कटनी या खेत की जुताई जैसे कृषि से संबंधित काम के लिए गांव आना-जाना लगा रहता था. धूप में खेत में फावड़ा चलाना, पशुओं के लिए चारा काटना, सिर पर गोबर ढोना, महुआ बीनना जैसे काम करने होते थे. छुट्टी खत्म होते ही वापस अध्ययन कार्य में जुट जाना होता था.
जिस विषय का नहीं था ज्ञान उसी के बने प्रवक्ता
शशि कुमार सिंह ने लोकल 18 को बताया कि प्रारंभिक शिक्षा के दौरान अंग्रेजी विषय से पूरी तरह अपरिचित थे. लेकिन ऊपरी कक्षाओं में आने के बाद यह विषय पसंद आने लगा. बलिया के कुंवर सिंह इंटर कॉलेज से इंटरमीडिएट के बाद सतीश चंद कॉलेज से ग्रेजुएशन और फिर गोरखपुर यूनिवर्सिटी से अंग्रेजी से पोस्ट ग्रेजुएशन किया. पढ़ाई खत्म होते ही शिक्षक नियुक्ति का फॉर्म आया. अप्लाई किया और सफलता मिल गई. मैं अंग्रेजी में प्रवक्ता के पद पर चयनित हुआ.
जहां करते थे पढ़ाई आज वहीं हैं प्रधानाचार्य
कुंवर सिंह इंटरमीडिएट कॉलेज के प्रधानाचार्य शशि कुमार सिंह ने बताया कि वे साल 1981-82 में इसी कॉलेज के छात्र रहे हैं. आज सौभाग्य है कि यहीं पर पहले प्रवक्ता हुए, फिर वाइस प्रिंसिपल बने और अब प्रिंसिपल के पद पर काम कर रहे हैं. लोकल18 से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि इस विद्यालय से बड़ा लगाव है, इसलिए गर्मी की छुट्टी में बच्चों के लिए फ्री क्लास चलाते हैं. चूंकि मैंने गरीबी को करीब से देखा है, इसलिए बच्चों की तकलीफ समझता हूं. अपने उपनाम के बारे में शशि कुमार सिंह ने बताया कि शशि कुमार सिंह ‘प्रेमदेव’ में ‘प्रेम’ माताजी के नाम का अंश है और ‘देव’ पिताजी के नाम का अंश. आज भी जो मुझे पुकारता है तो वहां मां और पिता की याद आती है.
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