इस गांव के खेतों में फसल की जगह पैदा होती है बिजली, इतना होता है सालाना मुनाफा
राजस्थान के सीमावर्ती जिले सिरोही में एक आदिवासी बहुल गांव ऐसा भी है, जहां करीब 35 एकड़ में लगे सोलर थर्मल पॉवर प्लांट ...अधिक पढ़ें
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दर्शन शर्मा/सिरोही : राजस्थान के सीमावर्ती जिले सिरोही में एक आदिवासी बहुल गांव ऐसा भी है, जहां करीब 35 एकड़ में लगे सोलर थर्मल पॉवर प्लांट में 25 हजार लोगों की क्षमता जितनी बिजली आपूर्ति की जा रही है. दिलचस्प बात यह है कि इस आधुनिक संयंत्र से जुड़े कार्य में आसपास के आदिवासी क्षेत्र के लोग ही काम कर रहे हैं. इन मजदूरों को पहले संयंत्र से सम्बंधित प्रशिक्षण दिया जाता है.
दरअसल, ब्रह्माकुमारी संस्थान के मुख्यालय शांतिवन में बिजली आपूर्ति के लिए जिले के उमरणी गांव में वर्ष-2017 में 1 मेगावाट का विद्युत सौर तापीय विद्युत संयंत्र इंडिया वन द्वारा स्थापित किया गया था. ‘इंडिया वन’ प्लांट में 16 घंटे थर्मल ऊर्जा भंडारण है, जो चौबीसो घंटे विद्युत आपूर्ति प्रदान करता है. ये प्लांट जर्मनी के पर्यावरण, प्रकृति संरक्षण, भवन और परमाणु सुरक्षा (बीएमयूबी) मंत्रालय द्वारा द्विपक्षीय ‘कॉमसोलर’ पहल के तहत आंशिक रूप से वित्त पोषित है.
प्लांट में 60 वर्गमीटर के 770 पैराबोलिक रिफ्लैक्टर लगे हैं, जो यूनिक स्टैटिक फोकस डिजाइन में तैयार किए गए हैं. इसमें विशेष प्रकार के सोलर ग्रिड मिरर लगे हैं. 770 स्वदेशी रूप से डिजाइन किए गए कास्ट आयरन कैविटी रिसीवर लगे हैं, जो 450 डिग्री सेल्सियस तापमान व 42 बार प्रेसर तक सीधे अत्यधिक गर्म भाप उत्पन्न करते हैं.
ऐसे तैयार होती है बिजली
60 एम2 पैराबोलिक रिफ्लेक्टर सूर्य को ट्रैक करके कास्ट आयरन रिसीवर में सौर किरणों को केंद्रित करता है. प्रत्येक रिसीवर रात या आंशिक बादल की स्थिति के लिए थर्मल ऊर्जा भंडारण के रूप में कार्य करता है, जो लोहे के कोर से पानी में गर्मी का आदान-प्रदान करके भाप जनरेटर के रूप में कार्य करता है. उच्च तापमान वाली भाप जनरेटर से जुड़े टरबाइन के माध्यम से चलती है, जो बिजली पैदा करती है.
मेक इन इंडिया का अच्छा उदाहरण
इंडिया वन प्लांट तकनीकी को घरेलू स्तर पर विकसित किया गया है. यह ‘मेक इन इंडिया’ पहल का एक अच्छा उदाहरण है. प्लांट की 2017 में शुरुआत के बाद से सफलतापूर्वक संस्थान की ओर से संचालन किया जा रहा है. इंडिया वन सोलर थर्मल पावर प्लांट के अलावा वर्ष-2018 संस्थान की ओर से ग्रिड से जुड़े 1 मेगावाट सोलर फोटोवोल्टिक प्लांट को भी सफलतापूर्वक स्थापित कर संचालन किया जा रहा है. दोनों प्लांट मिलाकर प्रति वर्ष औसतन 3 मिलियन विद्युत इकाई का उत्पादन किया जाता है. औसतन इंडिया वन बिजली उत्पादन से शुद्ध बचत लगभग 1 लाख 50 हजार अमेरिकी डॉलर प्रति वर्ष है.
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