पंखे से टकराकर गौरैया के टूट गए पंख, तो घर को ही बना डाला 'चिड़ियाघर', अनोखी बर्ड-लवर है श्वेता
घर में घुस आई चिड़िया पंखे से टकराकर नीचे गिरी तो उसके पंख टूट गए. इस एक घटना ने श्वेता केशरे के मन पर ऐसा प्रभाव डाला ...अधिक पढ़ें
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दीपक पांडेय/खरगोन. गर्मी के दिनों में तेज धूप से प्राकृतिक आवासों की कमी से पक्षियों खासकर गौरैया की संख्या घटती जा रही है. कई लोग इनके संरक्षण में जुटे हैं. इन्हीं में से एक है मध्य प्रदेश के खरगोन जिले की श्वेता विपुल केशरे, जिन्होंने अपने घर को ही पक्षियों का आशियाना बना दिया है. उन्होंने घर को This is my happy place नाम दिया है. घर में गौरैया के लिए प्लाईवुड से बने छोटे-छोटे घरौंदे बनाकर लगाए हैं. दाना-पानी की व्यवस्था की है. इनमें गौरैया अपना घोंसला बनाकर रह रही हैं.
श्वेता विपुल केशरे जिला मुख्यालय से दूर बड़वाह में रहती हैं. वह पेशे से स्कूल टीचर हैं. विगत 7-8 वर्षों से गौरैया संरक्षण के कार्य में लगी हुई हैं. पक्षियों से इतना लगाव है कि उन्होंने अपने घर को ही पक्षियों का आशियाना बना दिया है. उनके घर की दीवारों पर कृत्रिम आवास बने हुए हैं, जो गौरैया को धूप, बारिश से बचाते हैं. इन घरों में 15 से ज्यादा गौरैया रहती हैं. पूरे दिन घर में चिड़ियों के चहकने की आवाज सुनाई देती है. श्वेता ने पक्षियों को प्राकृतिक माहौल देने के लिए एक मिनी गार्डन बनाया है. दीवारों पर पेंटिंग की है, जिसमें कई सारे पौधे लगे हैं. जगह-जगह दाना पानी रखा है.
इसलिए उठाया संरक्षण का जिम्मा
लोकल 18 से बातचीत में पक्षी प्रेमी श्वेता केशरे ने बताया कि गौरैया नाम की यह चिड़िया हमें हमारे बचपन की ओर ले जाती है. लेकिन उनकी संख्या धीरे-धीरे कम होने लगी है, इसलिए श्वेता ने गौरैया संरक्षण का जिम्मा उठाया है. उनका मानना है कि पक्षी पिंजरे में नहीं घर आंगन ने चहचहाते हुए अच्छे लगते हैं, इसलिए उन्होंने प्राकृतिक माहौल देने के लिए अपने घर का स्वरूप बदला है.
यहां से मिली प्रेरणा
श्वेता ने बताया कि करीब 7-8 साल पहले वह अपने किचन में काम कर रही थीं, तभी एक गौरैया छत के पंखे से टकराकर नीचे गिरी और उसके पंख टूट गए. उन्होंने कुछ दिनों तक गौरैया की सेवा की अन्न, पानी दिया. वह स्वस्थ होकर फिर उड़ने लगी. घर में ही इधर-उधर मंडराने लगी. गौरैया को देख मन प्रफुल्लित हो गया. तभी सोचा कि ऐसी कितनी ही चिड़िया अपनी जान गंवा देती होंगी. बस फिर क्या था, उन्होंने गौरैया संरक्षण की ठान ली. घर की मुंडेर पर घर के बर्तनों में दाना पानी रखा तो चिड़िया आने लगी. फिर मिट्टी से बने सकोरे रखे. देखते देखते अब पूरा बर्ड होम बन गया है.
ऐसे दिया प्राकृतिक माहौल
उन्होंने बताया कि घर की दीवारों पर छोटे-छोटे बर्ड होम लगाए हैं, जिन्हें घर पर ही तैयार किया है. पानी के लिए मिट्टी के सकोरे रखे हैं. इसके अलावा दाना-पानी के लिए घर की अनुपयोगी वस्तुओं का भी इस्तेमाल किया है. गमलों में पौधे लगाए हैं, जिनसे ठंडक बनी रहती है. प्राकृतिक माहौल मिलने से लगातार गौरैया की संख्या बढ़ रही है. श्वेता कहती हैं कि चिड़ियों की चहचहाहट से उन्हें मानसिक सुकून मिलता है. अब ये गौरैया श्वेता के परिवार का हिस्सा बन गई हैं.
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