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प्यार में धोखा खाने वालों को रुला देगी एक बाप की दर्द भरी 'आवाज'... क्यों चर्चा में है दिल्ली HC का यह फरमान?
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हिंदी समाचार / न्यूज / जीवन शैली / प्यार में धोखा खाने वालों को रुला देगी एक बाप की दर्द भरी 'आवाज'... क्यों चर्चा में है दिल्ली HC का यह फरमान?

प्यार में धोखा खाने वालों को रुला देगी एक बाप की दर्द भरी 'आवाज'... क्यों चर्चा में है दिल्ली HC का यह फरमान?

दुर्बल मानसिकता वाले व्यक्ति द्वारा लिए गए गलत फैसले के लिए किसी अन्य को दोषी नहीं ठहराया जा सकता है- HC
दुर्बल मानसिकता वाले व्यक्ति द्वारा लिए गए गलत फैसले के लिए किसी अन्य को दोषी नहीं ठहराया जा सकता है- HC

Painful Love Story : क्या प्यार और मोहब्बत में धोखा खाए लड़का और लड़कियों के लिए देश में दो तरह के कानून हैं? क्या पुलि ...अधिक पढ़ें

Painful Love Story :  प्यार, मोहब्बत और धोखा शब्द सुनते-सुनते आप थक गए होंगे. आज हम बात करेंगे कि क्या कानून में प्यार और मोहब्बत में धोखा खाए लड़के और लड़कियों के लिए अलग-अलग कानून हैं? क्या पुलिस दोनों मामलों में अलग-अलग तरीके से जांच करती है? प्यार में असफल होने पर अगर कोई लड़की या महिला जान दे तो पुलिस तुरंत ही मामला दर्ज कर जांच शुरू कर देती है, लेकिन अगर यही मामला उल्टा यानी किसी महिला या लड़की की वजह से कोई पुरुष या लड़का आत्महत्या कर लेता है तो एफआईआर दर्ज करने में पुलिस को वक्त क्यों लगता है?

दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को एक ऐसा फैसला दिया है, जिसके बाद इस मुद्दे को लेकर देश में एक बार फिर से बहस छिड़ सकती है. दरअसल, दिल्ली हाईकोर्ट ने आत्महत्या के लिए उकसाने के एक मामले में दो व्यक्तियों की अग्रिम जमानत मंजूर करते हुए कहा कि यदि कोई पुरुष प्रेम में विफलता के कारण खुदकुशी कर लेता है तो उसकी महिला साथी को आत्महत्या के लिए उकसाने का जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता.

HC ने अपने तर्क में क्या कहा
हाईकोर्ट ने तर्क देते हुए कहा कि दुर्बल मानसिकता वाले व्यक्ति द्वारा लिए गए गलत फैसले के लिए किसी अन्य को दोषी नहीं ठहराया जा सकता है. न्यायमूर्ति अमित महाजन की पीठ ने अपने फैसले में कहा कि यदि कोई प्रेम में विफल होने के बाद आत्महत्या करता है, कोई छात्र खराब प्रदर्शन के कारण आत्महत्या कर लेत है तो परीक्षक को खुदकुशी के लिए उकसाने का जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता. कोर्ट ने उदाहरण देते हुए प्यार में धोखा खाए व्यक्ति को लेकर यह बात कही और फिर इस केस में नामजद दोनों आरोपियों को अग्रिम जमानत मंजूर कर लिया.

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साल 2023 में दिल्ली में खुदकुशी के लिए उकसाने के आरोप में दो लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया था. (फाइल फोटो)

प्यार करने पर जांच का तरीका अलग-अलग क्यों?
दरअसल, साल 2023 में दिल्ली में खुदकुशी के लिए उकसाने के आरोप में दो लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया था. मृतक के पिता ने मामला दर्ज कराते हुए पुलिस को शिकायत दी थी कि एक महिला और उनके बेटे के बीच प्रेम संबंध थे. जबकि, दूसरा आरोपी उन दोनों (महिला और खुदकशी करने वाला शख्स) का साझा मित्र था. मृतक के पिता ने पुलिस को शिकायत में आरोप लगाया गया था कि दोनों ने खुदकुशी के लिए मेरे बेटे को उकसाया और कहा कि उनके बीच शारीरिक संबंध हैं.

शिकायत में कहा गया है कि लड़के को महिला की बात सुनकर सदमा लगा और वह आत्महत्या कर लिया. आत्महत्या से पहले लड़के ने सुसाइड नोट लिखा, ‘उक्त महिला के साथ मेरा प्रेम संबंध चल रहा था. लेकिन, एक दिन दोनों ने बताया कि उनके बीच शारीरिक संबंध भी है. यह बात सुनकर मुझको गहरा मानसिक आघात लगा और मैं इस वजह से आत्महत्या कर रहा हूं. मेरी मौत का जिम्मेदार उक्त महिला और उसका दोस्त है.’

क्या कहते हैं पुलिस अधिकारी
दिल्ली के पूर्व जॉइंट पुलिस कमिश्नर एसबीएस त्यागी न्यूज 18 हिंदी के साथ बातचीत में कहते हैं, ‘कानून और सामाज में महिलाओं का स्थान हमेशा से ही समाज में कमजोर वर्ग यानी वीकर सेक्शन में रहा है. आज ही नहीं पूर्व से ही पुरुषों की तुलना में महिलाओं को कमजोर माना जाता आ रहा है. वहीं, दूसरी तरफ समाज में मानसिकता है कि पुरुष प्रधान समाज है. इसको लेकर महिलाओं पर भी मानसिक दवाब रहता है. महिला अगर आत्महत्या करती हैं तो कहीं न कहीं एक प्रेम प्रसंग से जुड़ा मामला होता है या फिर कहीं न कहीं उसके साथ एक्सप्लोइटेशन का मामला होता है.’

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दिल्ली हाईकोर्ट ने अब दोनों शख्स को अग्रीम जमानत दे दी है. (Image:News18)

त्यागी आगे कहते हैं, ‘चाहे वह शादी का झांसा दिया हो या फिर किसी अन्य वजहों से उसका शोषण कर रहा हो. अक्सर महिलाओं के साथ संबंध बनाकर पुरुष बाद में अपने संबंध से मुकर जाते हैं. इससे महिला को तुरंत ही मानसिक आघात लगता है और वह आत्महत्या जैसा कदम उठा लेती है. लेकिन, पुरुषों के साथ ऐसा नहीं होता है. पुरुषों को लेकर कोर्ट के फैसले सभी पहलुओं को ध्यान में रखकर दिए जाते हैं.’

सामाजिक संगठनों का क्या कहना है?
वहीं, सामाजिक कार्यकर्ता बरखा त्रेहन कहती हैं, ‘देखिए मेरा यह मानना है कि महिलाएं भी पुरुषों को एक्सप्लोइट करती हैं. कोर्ट का भी फैसला ज्यादातर मामलों में महिलाओं के पक्ष में ही आता है. लेकिन, ऐसा नहीं है कि लड़कियों या महिलाओं की गलती नहीं होती. उदाहरण के तौर पर 498ए के तहत दर्ज मामलों में पुलिस बिना जांच किए ही पूरे परिवार यहां तक की आस-पड़ोस के लोगों को भी गिरफ्तार कर लेती है. ये तब होता है जब पुलिस के पास किसी तरह का कोई साक्ष्य नहीं होता है. सिर्फ लड़की के बयान या सुसाइड नोट के आधार पर आप लड़कों वालों को अंदर कर देते हैं. लेकिन, जहां लड़का अपने सुसाइड नोट में अपने साथ हुए उत्पीड़न का जिक्र करता है और सुसाइड नोट भी लिखकर चला जाता है. वहां, आप उसे छोड़ देते हैं? पुरुषों की मानसिक स्थिति खराब हो जाए या मेंटल इलनेस हो जाए तो आपके जांच का तरीके बदल जाते हैं और महिलाओं के केस में आपका यह तरीका भी अलग हो जाता है.

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त्रेहन आगे कहती हैं, ‘देखिए आम आदमी खासकर पुरुष आज के दौर में कितना दवाब में काम करता है यह किसी से छिपी नहीं है. उसको फैमिली का प्रेशर है, बॉस का प्रेशर है, मां का प्रेशर, पिता का प्रेशर, पत्नी का प्रेशर है, दोस्त का प्रेशर है. इसके साथ ही न जाने वह कितना दवाब झेल रहा है. लेकिन, अगर घटनाएं होती हैं तो लड़कों की सुनवाई कहां होती है? महिलाओं के लिए तो आपने कई आयोग बना रखा है. वहीं, पुरुष अगर एफआईआर लिखाना भी चाहे तो कहां लिखाएगा? कोर्ट जाएगा तो वहां भी उसकी सुनवाई नहीं होगी? बेचारा पुरुष जाए तो जाए कहां. इसलिए मैं देश में एक पुरुष आयोग के गठन की मांग कर रही हूं, जहां पुरुषों के खिलाफ घरेलू हिंसा सहित अन्य कई तरह के उत्पीड़न के मामलों की सुनवाई हो.’

Tags: DELHI HIGH COURT, Indian women, Lifestyle, Love