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KGMU का ये मॉडल बताएगा... कितना शोर बना देगा आपको बहरा, 150 ड्राइवरों का किया गया सर्वे
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KGMU का ये मॉडल बताएगा... कितना शोर बना देगा आपको बहरा, 150 ड्राइवरों का किया गया सर्वे

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इस वजह से लोग हो रहे बहरे

डॉ. मनीश ने शोर पर आधारित एक मॉडल तैयार किया है, जो यह बता सकता है कि कितने दिनों तक कितना शोर आपको बहरा बना सकता है. इ ...अधिक पढ़ें

अंजलि सिंह राजपूत/लखनऊ : महानगरों का तेज शोर लोगों को बहरा बना रहा है. खास तौर पर जो ऑटो-टैक्सी ड्राइवर हैं जो दिन-रात गाड़ी चला कर लोगों को उनकी मंजिल तक पहुंचाते हैं उनमें सुनने की क्षमता कम होने के साथ ही बहरापन तेजी से बढ़ रहा है. यह हकीकत सामने आई है किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के कम्युनिटी मेडिसिन विभाग के रिसर्च में. इस रिसर्च में करीब 150 ड्राइवरों पर सर्वे किया गया था. सर्वे में यह पाया गया है कि 121 डेसीबल तक एक घंटे तक ध्वनि सुनने से कानों पर विपरीत असर नहीं पड़ेगा लेकिन अगर 133 डेसीबल का शोर आप एक घंटे तक आप सुन लेंगे तो आप 100 फीसदी तक बहरे हो सकते हैं.

केजीएमयू के प्रवक्ता डॉ. सुधीर सिंह ने बताया कि इस पूरी रिसर्च को अंजाम दिया है कम्युनिटी मेडिसिन विभाग के डॉ. मनीश मनार ने. डॉ. मनीश ने शोर पर आधारित एक मॉडल तैयार किया है, जो यह बता सकता है कि कितने दिनों तक कितना शोर आपको बहरा बना सकता है. इसके जरिए व्यक्ति शोर में रहने की अवधि और उसके स्तर का आकलन कर यह पता कर सकता है कि वह कितने दिन सुरक्षित है. इसके बाद कितने दिन का शोर उसे बहरा बना देगा. डॉ. सुधीर सिंह ने बताया कि ,. डॉ. मनीश लखीमपुर के रहने वाले हैं और उनका बैकग्राउंड इंजीनियरिंग का रहा है. उन्होंने बीटेक सिविल इंजीनियरिंग में किया है और एमटेक आईआईटी रुड़की से किया है, जबकि पीएचडी केजीएमयू से ही की है.

सिर्फ 121 डेसीबल का शोर झेल सकते हैं आपके कान
डॉ. सुधीर सिंह ने बताया कि मॉडल तैयार करने से पहले ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. वीरेंद्र कुमार वर्मा के साथ गंभीर चर्चा की गई थी. कान में अंदर की तरफ होने वाले बाल जन्म के बाद दोबारा नहीं उगते हैं. जब शोर होता है तो इन बालों में शोर के स्तर के आधार पर कंपन होता है. हर बार शोर इन बालों की संख्या को नुकसान पहुंचाता है. ये बाल एक बार कम हो जाते हैं तो दोबारा नहीं उगते, इसलिए व्यक्ति के पूरे जीवनकाल में शोर झेलने का एक स्तर होता है. इस अध्ययन में उसे मापा गया. इसमें देखा गया कि 121 डेसीबल प्रति घंटे का शोर व्यक्ति आसानी से झेल सकता है. इससे उसकी सुनने की क्षमता को कोई नुकसान नहीं पहुंचता जबकि 133 डेसीबल प्रति घंटे का शोर होने पर व्यक्ति बहरा हो सकता है.

इन बातों का रखें ध्यान
डॉ. सुधीर सिंह ने बताया कि ऐसे में जरूरी है कि लोग तेज म्यूजिक और तेज ध्वनि को न सुने. बार-बार सड़कों पर अपनी गाड़ियों का हॉर्न न बजाएं. डीजे पर ज्यादा तेज म्यूजिक ना रखें. जिससे लंबे वक्त तक आपके सुनने की क्षमता बनी रह सकती है और आप स्वस्थ रह सकते हैं.

Tags: Health News, Life18, Local18, Lucknow news, Uttar Pradesh News Hindi