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DGP और SP कांगड़ा को पद से हटाने के निर्देश, हिमाचल हाई कोर्ट का फैसला, जानें वजह
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DGP और SP कांगड़ा को पद से हटाने के निर्देश, हिमाचल हाई कोर्ट का फैसला, जानें वजह


बहुचर्चित कारोबारी निशांत शर्मा केस: हिमाचल हाई कोर्ट ने डीजीपी और एसपी कांगड़ा को पद से हटाने के दिए निर्देश...
बहुचर्चित कारोबारी निशांत शर्मा केस: हिमाचल हाई कोर्ट ने डीजीपी और एसपी कांगड़ा को पद से हटाने के दिए निर्देश...

बहुचर्चित कारोबारी निशांत शर्मा मामले में हिमाचल हाई कोर्ट ने जांच पूरी होने तक डीजीपी और एसपी कांगड़ा को पद से हटाने क ...अधिक पढ़ें

शिमला. बहुचर्चित कारोबारी निशांत शर्मा मामले में हिमाचल सरकार, डीजीपी संजय कुंडू और एसपी कांगड़ा को बड़ा झटका लगा है. हिमाचल हाई कोर्ट ने जांच पूरी होने तक डीजीपी और एसपी कांगड़ा को पद से हटाने के निर्देश दिए हैं. कोर्ट ने कहा कि निष्पक्ष जांच के लिए दोनों को पद से हटाना जरूरी है. हाई कोर्ट ने 17 पन्नों के आदेश में निर्देश दिया.

हाई कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि डीजीपी ने मामले में और निष्पक्ष जांच के मामले में आंखें मूंद ली हैं. कोर्ट ने कहा कि मामले की निष्पक्ष जांच और न्याय न केवल होना चाहिए अपितु दिखना भी चाहिए कि सिद्धांत को देखते हुए उक्त अधिकारियों का मौजूदा पदों पर रहना वाजिब नहीं होगा.

एडवोकेट जनरल अनूप रत्न ने बताया, ‘अदालत ने कहा कि जांच में हस्तक्षेप हो सकता है. जांच प्रभावित न हो इसलिए डीजीपी संजय कुंडू और एसपी कांगड़ा शालिनी अग्निहोत्री को हटाना जरूरी है. अब तक की जांच में डीजीपी का कारोबारी को फोन करने की पुष्टि हुई है. डीजीपी की फोन कॉल के बाद कथित तौर पर कारोबारी पर हमला हुआ था. कारोबारी पर नजर रखी गई, एसपी कांगड़ा ने कारोबारी की शिकायत पर देरी से कार्रवाई की. जांच में ढिलाई बरती गई.’

कारोबारी निशांत शर्मा से जुड़े मामले में पिछली सुनवाई के दौरान भी हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए जांचकर्ता पुलिस अधिकारियों से कहा था कि आपको कुछ करना भी है या हम ही कोई आदेश करें? अब मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एम.एस. रामचंद्र राव और न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने डीजीपी और एसपी कांगड़ा को वर्तमान पोस्टिंग से हटाने के निर्देश दिए हैं.

कारोबारी निशांत ने हाईकोर्ट को ई-मेल के माध्यम से बताई थी पूरी घटना
कारोबारी निशांत ने अपने और अपने परिवार की सुरक्षा को खतरे बारे हाईकोर्ट को ई-मेल के माध्यम से पूरी घटना बताई थी. इस ई-मेल को आपराधिक रिट याचिका में तबदील करते हुए हाईकोर्ट ने अंतरिम आदेश पारित कर एसपी शिमला और एसपी कांगड़ा को प्रार्थी को उचित सुरक्षा मुहैया करवाने के आदेश दिए थे. पिछली सुनवाई के दौरान एसपी कांगड़ा की ओर से बताया गया था कि प्रार्थी की शिकायत पर दर्ज प्राथमिकी में लगाए गए आरोपों की जांच अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक कांगड़ा को सौंपी जा चुकी है. एसपी शिमला ने इस मामले में ऊंचे लोगों की शामिल होने का अंदेशा जताया था.

27 अक्टूबर को निशांत को 15 मिस्ड कॉल कीं
एसपी शिमला की जांच में प्राथमिक रूप से पाया गया कि डीजीपी उक्त कारोबारी द्वारा बताए गए एक रसूखदार व्यक्ति के संपर्क में रहे. जांच में पाया गया कि डीजीपी ने 27 अक्टूबर को निशांत को 15 मिस्ड कॉल कीं. यह भी सामने आया कि डीजीपी ने कारोबारी पर निगरानी रखी जबकि एसपी कांगड़ा द्वारा मामले में देरी से प्राथमिकी दर्ज करने का कोई कारण नहीं बताया गया. एसपी कांगड़ा कोर्ट को यह भी नहीं बता पाईं कि इस मामले में एसपी शिमला द्वारा की गई जांच में सामने आए तथ्यों का उपयोग कांगड़ा में दर्ज प्राथमिकी की जांच में क्यों नहीं किया गया. कोर्ट ने कहा कि इन तथ्यों के मद्देनजर मामले की निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने हेतु यह मामला अपने हाथों में लेने पर मजबूर होना पड़ा.

निशांत कुमार शर्मा ने 28 अक्तूबर 2023 को हाईकोर्ट को ई-मेल के माध्यम से अपने और अपने परिवार की जान को खतरे की बात लिखी थी. लिखा था कि वह चिंतित और भयभीत है कि उन्हें या तो पुलिस प्रमुख संजय कुंडू द्वारा मार दिया जाएगा या गंभीर रूप से डराया-धमकाया जाएगा. कारोबारी ने लिखा था कि गुरुग्राम में भी उस पर हमला हो चुका है जिसमें वह बच गए. वारदात की रिपोर्ट को वापस लेने के लिए उस पर दो बाइक सवार व्यक्तियों ने भागसूनाग और मैक्लोडगंज के बीच वाले रास्ते में रोककर धमकाया.

ई-मेल के मुताबिक डीजीपी कार्यालय से उसे एक ही दिन में 14 फोन आए. उसे डीएसपी व एसएचओ पालमपुर ने भी फोन किए. एसएचओ पालमपुर ने व्हाट्सएप मैसेज कर बताया कि डीजीपी उससे बात करना चाहते हैं इसलिए उसे डीजीपी कार्यालय में वापस कॉल कर लेनी चाहिए. कॉल बैक करने पर डीजीपी ने कहा कि निशांत शिमला आओ और उनसे मिलो. इस पर जब उसने कहा कि वह क्यों उनसे मिले तो डीजीपी ने कहा कि उसे शिमला आना होगा और उनसे मिलना होगा. ई-मेल के माध्यम से निशांत ने हिमाचल के ही दो रसूखदार लोगों पर उससे जबरन वसूली का दबाव बनाने की बात कही. मुख्य न्यायाधीश ने ई-मेल पर संज्ञान लेते हुए प्रशासनिक आदेशों से इसे आपराधिक रिट याचिका पंजीकृत करने के आदेश दिए थे. कोर्ट द्वारा संज्ञान लेने के बाद ही प्रार्थी के आरोपों की प्राथमिकी कांगड़ा जिला में दर्ज की गई थी.

Tags: Himachal news, Shimla News