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लोकसभा चुनाव 2024: ये बेटियां... पिता और ससुर की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने की लड़ रही लड़ाई
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लोकसभा चुनाव 2024: ये बेटियां... पिता और ससुर की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने की लड़ रही लड़ाई

lok sabha chunav 2024
lok sabha chunav 2024

Loksabha Chunav 2024: लोकसभा चुनाव में बिहार और झारखंड की कई लीडर बेटियां दमदार उपस्थिति दर्ज करा रही हैं. दोनों राज्यो ...अधिक पढ़ें

पटना: 2024 के लोकसभा चुनाव में बिहार और झारखंड की कई लीडर बेटियां दमदार उपस्थिति दर्ज करा रही हैं. दोनों राज्यों की 54 में से कई सीटों पर ये बेटियां दिग्गज नेताओं से फाइट कर रही हैं. इनमें मीसा भारती, रोहिणी आचार्य और शांभवी चौधरी से लेकर दीपिका पांडेय सिंह, अन्नपूर्णा देवी, सीता सोरेन, जोबा मांझी और गीता कोड़ा जैसी महिला उम्मीदवारों के नाम शामिल हैं. पिता और ससुर की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने की लड़ाई लड़ रही ये बेटियां किसी से कम नहीं हैं.

RJD अध्यक्ष लालू प्रसाद की सबसे बड़ी बेटी मीसा भारती पाटलिपुत्र में लगातार तीसरी बार चाचा रामकृपाल यादव से भिड़ेंगी. 2014 में लालू प्रसाद ने अपने भरोसेमंद रामकृपाल यादव का टिकट काट कर बेटी मीसा भारती को पहली बार चुनावी मैदान में उतारा था. तो रामकृपाल यादव बागी हो गए थे. वो BJP के टिकट पर लड़े और भतीजी मीसा भारती को 40,322 वोट से हरा दिया. 2019 में भी चाचा-भतीजी भिड़े. पर दूसरी बार भी मीसा भारती 39,321 वोट से हार गईं.

पाटलिपुत्र में सबसे ज्यादा यादव
इस बार मीसा भारती ने हार की हैट्रिक रोकने के लिए पूरा दम खम लगा दिया है. वो लगातार जनसंपर्क अभियान और रोड शो कर रही हैं और चाचा पर हमला करने का कोई मौका नहीं छोड़ रही हैं. पिछड़ी जातियों का गढ़ माने जाने वाले पाटलिपुत्र में सबसे ज्यादा यादव 24 फीसदी हैं. भूमिहार 10, मुस्लिम 8 और पासवान 6 फीसदी हैं. इसके अलावा रविदास 5, राजपूत 4 और ब्राह्मण 2 फीसदी हैं. पर पिछले 2 लोकसभा चुनाव की तुलना में इस बार पाटलिपुत्र का चुनावी गणित बदला हुआ है. ऐसे में बदले सियासी समीकरण और पिछले विधानसभा चुनाव के नतीजे के आधार पर इस बार का लोकसभा चुनाव रोमांचक होने की संभावना है.

सारण लोकसभा सीट से पहली बार रोहिणी आचार्य चुनावी मैदान में
लालू प्रसाद की दूसरी सबसे बड़ी बेटी रोहिणी आचार्य सारण लोकसभा सीट से पहली बार चुनावी मैदान में हैं. लाडली बेटी को विजय दिलाने के लिए पिता लालू प्रसाद और मां राबड़ी देवी ने सारण में डेरा डाल दिया है. दोनों माता-पिता सारण की जनता से मिल रहे हैं और बेटी रोहिणी आचार्य को विजय का आशीर्वाद देने की अपील कर रहे हैं. MBBS की पढ़ाई कर चुकीं रोहिणी आचार्य सबसे पहले अपने बेबाक ट्वीट के जरिए चर्चा में आई थीं. फिर पिता लालू प्रसाद को किडनी देकर सुर्खियों में आ गईं. वो शादी के बाद लंबे समय से पति के साथ सिंगापुर में रह रही थीं, पर पिता की सियासी विरासत संभालने के लिए इस बार सिंगापुर से सारण आ गईं.

सारण में राजपूत और यादव जाति की आबादी
सारण में राजपूत और यादव जाति की आबादी सबसे ज्यादा है. इसलिए सभी राजनीतिक दल यादव या राजपूत उम्मीदवार को ही मैदान में उतारते हैं. पर बनिया, मुस्लिम और दलित वोटर ही उम्मीदवारों की हार-जीत में मुख्य भूमिका निभाते हैं. यही वजह है कि एम-वाई यानी मुस्लिम और यादव समीकरण के जरिए लालू प्रसाद यहां से 4 बार सांसद रह चुके हैं. तो राजपूत और वैश्यों की गोलबंदी के बलबूते राजीव प्रताप रूडी भी सारण से 4 बार सांसद रहे. जाहिर है इस बार रोहिणी आचार्य के सामने सारण से अपनी पार्टी को जीत दिलाने के साथ-साथ RJD की खोई सियासी जमीन वापस दिलाने की भी बड़ी चुनौती है. पर BJP उम्मीदवार राजीव प्रताप रूडी की चुनौती के सामने उनकी राह आसान नहीं है.

बिहार के दिग्गज JDU नेता और भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी की बेटी शांभवी चौधरी पहली बार चुनाव मैदान में कदम रख रही हैं. वो पूर्व चर्चित IPS अफसर आचार्य किशोर कुणाल की बहु हैं. LJPR अध्यक्ष चिराग पासवान ने उन्हें पॉलिटिक्स में लॉन्च करते हुए समस्तीपुर रिजर्व सीट से लोकसभा का टिकट थमाया. शांभवी चौधरी 2 साल पहले तब चर्चा में आई थीं. जब दलित परिवार से बाहर जाकर उन्होंने भूमिहार परिवार से ताल्लुक रखने वाले शायन कुणाल से शादी की थी.

शांभवी ने दिल्ली के लेडी श्रीराम कॉलेज, दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स और एमिटी यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की थी. इसके बाद से बिहार में सामाजिक कार्यों में सक्रिय हो गईं. दरअसल शांभवी के पति शायन कुणाल की चिराग पासवान से दोस्ती थी. शांभवी को टिकट मिलने में यही दोस्ती काम आई. इसके साथ ही 26 साल की शांभवी लोकसभा चुनाव लड़नेवाली सबसे कम उम्र की दलित महिला उम्मीदवार बन गई हैं. शांभवी के दादा महावीर चौधरी काँग्रेस के बड़े नेता और मंत्री रहे हैं. जाहिर है शांभवी चौधरी पर दादा महावीर चौधरी और पिता अशोक चौधरी की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने की अहम जिम्मेदारी है.

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झारखंड के दिग्गज राजनीतिक घराने से ताल्लुक रखनेवाली अनुपमा सिंह धनबाद से काँग्रेस उम्मीदवार के रुप में राजनीतिक जीवन की शुरुआत कर रही हैं. इसी साल जनवरी में जब काँग्रेस नेता राहुल गाँधी भारत जोड़ो न्याय यात्रा पर झारखंड में थे. तो काँग्रेस विधायक पति जयमंगल सिंह के हैदराबाद प्रवास के दौरान उनकी पत्नी अनुपमा सिंह ने न्याय यात्रा को सफल बनाने के लिए मोर्चा संभाल लिया था. राहुल गाँधी धनबाद और बोकारो के जिस रास्ते से गुजरे. अनुपमा सिंह पूरे रास्ते उनके साथ रहीं. उसी समय से उनके चुनाव लड़ने की अटकलें लगाए जा रहे थे.

अनुपमा सिंह के पति तो कांग्रेस के विधायक हैं ही. उनके दिवंगत ससुर राजेंद्र सिंह बिहार और झारखंड के बड़े मजदूर नेता रहे हैं. वो बेरमो सीट से 6 बार विधायक रहे. दोनों राज्यों की सरकारों में कैबिनेट मंत्री भी रहे. लोकसभा जाने का सपना लेकर राजेंद्र सिंह ने 3 बार गिरिडीह से लोकसभा का चुनाव लड़ा. पर तीनों बार उन्हें BJP के हाथों करारी शिकस्त मिली. इस मौके पर उन्हें कई बार ससुर राजेंद्र सिंह के चुनाव प्रचार में सासु मां के साथ शामिल होने का मौका मिला था. साल 2020 में ससुर राजेंद्र सिंह के निधन के बाद बेरमो में हुए उपचुनाव में अनुपमा सिंह को पति जयमंगल सिंह के लिए चुनाव प्रचार करते हुए भी देखा गया. अब उन पर दिवंगत ससुर राजेंद्र सिंह का संसद जाने का अधूरा सपना पूरा करने और उनकी सियासी विरासत को आगे बढ़ाने का दारोमदार आ गया है. इसके लिए उन्होंने पूरा दम-खम लगा दिया है.

लोकसभा चुनाव 2024: ये बेटियां... पिता और ससुर की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने की लड़ रही लड़ाई

गोड्डा से जीत की हैट्रिक लगा चुके BJP उम्मीदवार निशिकांत दुबे को पछाड़ने के लिए काँग्रेस ने इस बार महगामा की विधायक दीपिका पांडेय सिंह पर दांव आजमाया है. उनके पिता अरुण पांडेय संयुक्त बिहार में पार्षद और माँ प्रतिभा पांडेय महिला कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष के साथ-साथ झारखंड की समाज कल्याण बोर्ड की अध्यक्ष भी रह चुकी हैं. जबकि उनके ससुर अवध बिहारी सिंह एकीकृत बिहार में महगामा से 4 बार विधायक रहे. वो 1983 से 1990 तक बिहार के पथ निर्माण मंत्री भी रहे. 1995 के विधानसभा चुनाव में उन्हें BJP विधायक अशोक भगत ने पराजित कर दिया.

इसके 24 साल बाद 2019 में बहु दीपिका पांडेय सिंह ने विधायक बन कर ससुर अवध बिहारी सिंह की सियासी विरासत संभाल ली. इस बार कांग्रेस ने भले ही लंबे सोच-विचार के बाद उन्हें गोड्डा से उम्मीदवार बना दिया. पर उनकी राह उतनी आसान नहीं है. क्योंकि उन्हें अपनी ही पार्टी में अंतर्विरोध का सामना करना पड़ रहा है. उनकी उम्मीदवारी से प्रदीप यादव और फुरकान अंसारी जैसे टिकट के दावेदार नाराज हो गए हैं. तो BJP उम्मीदवार निशिकांत दुबे भी कड़ी चुनौती दे रहे हैं. ऐसे में उन्हें लोकसभा की राह तलाशने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ रही है.

Tags: 2024 Loksabha Election, Bihar News, PATNA NEWS