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सिर्फ दो महीने में किसानों को लखपति बना देती है इस सब्जी की खेती, ऐसे करें तैयार...बंपर होगा उत्पादन
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सिर्फ दो महीने में किसानों को लखपति बना देती है इस सब्जी की खेती, ऐसे करें तैयार...बंपर होगा उत्पादन

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वैज्ञानिक

वैज्ञानिक तरीके से तैयार तोरई की फसल 

फर्रुखाबाद के किसान वैज्ञानिक तरीके से उगा रहे तोरई की फसल जिससे कम समय और लागत में कर रहे हैं लाखों रुपए की कमाई. किसा ...अधिक पढ़ें

सत्यम कटियार/फर्रुखाबाद : जिले के किसान इस समय पर मौसम के अनुकूल सब्जियों की फसलों को उगा कर लाखों रुपए की कमाई कर रहे है. क्योंकि परंपरागत खेती को छोड़कर किसान इन दिनों सब्जियों की फसल कर रहे. सब्जियों में तोरई एक नगदी फसल मानी जाती हैं. इसके पौधे लता बेल जैसे फैलते हैं. इसलिए इसे सब्जियों में रखा गया है. आमतौर पर यह फसल दो माह में तैयार होती हैं. लेकिन फर्रुखाबाद के किसान अगैती तोरई तैयार करके लाखों रुपए का मुनाफा कमा रहे हैं. वही इस समय पर खास किस्मों को तैयार किया है जो उन्नत किस्म की होती हैं जिससे होती हैं बंपर पैदावार.

कायमगंज क्षेत्र के हाजीपुर गांव निवासी किसान पंकज गंगवार बताया कि वह सबसे पहले तोरई की नर्सरी तैयार करते हैं. जिसकी खेतों में रोपाई करने के करीब एक माह में ही तोरई निकलने लगती हैं. जो आमतौर पर तोरई बाजार में महंगी बिकती हैं. जिससे किसानों को होता है अच्छा खासा मुनाफा. दूसरी ओर यहां तैयार नर्सरी मे रोग भी कम लगते है. जिससे लागत में भी आती हैं कमी. इस समय पर तोरई बाजार में आमतौर पर 50 से 70 रुपए प्रति किलो की दर से बिक रही है. ऐसे समय पर इन्होंने एक माह में ही एक लाख रुपए की कमाई कर ली है. वही अगर लटक पद्धति से खेती करते हैं तो पच्चीस हजार रूपए की लागत आ जाती हैं.

तोरई के लिए यह है जलवायु और तापमान
आज के मौसम में तोरई की खेती के लिए गर्म और आद्र जलवायु मुफीद है. वही इसकी खेती के लिए 25 से 37 डिग्री सेल्सियस तापमान सही माना जाता है. इसकी फसल के लिए मिट्टी का पीएच मान 6.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए.

कैसे होती है तोरई की खेती
इसकी खेती करने के लिए नमीदार खेत में जैविक खाद डालने के बाद जुताई करने के साथ ही खेत को समतल करके 2.5 x 2 मीटर की दूरी पर 30 सेमी x 30 सेमी 30 सेमी आकार के गड्ढे खोदने के बाद तोरई की पौध को रोपना चाहिए. इसके बाद समय से सिंचाई और गुड़ाई की जाती हैं. जब पौधे बड़े हो जाते है. तो तोरई की उन्नत किस्मों के पौधो की रोपाई के बाद कटाई के लिए तैयार होने में एक माह का समय लग जाता है. वहीं तोरई की तुड़ाई कच्ची अवस्था में की जाती हैै. जिसके बाजार शुरुआत में 50 से 60 रुपए प्रति किलो के दाम मिल जाते हैं.जिसका प्रयोग सब्जी के रूप में करते है. तोरई के एक बीघा खेत में साठ से सत्तर हजार रुपए की आसानी से कमाई हो जाती हैं.

Tags: Agriculture, Local18, UP news